शनिवार, 16 सितंबर 2017

वो हिन्दी बोलते हैं

घर हिन्दी बोलता है!
अक्षांश कार को पार्किंग में खड़ा कर ड्राईङ्ग रूम में सोफ़े पर विराजमान हुआ ।चेहरे के भाव असंयमित मन उद्विग्न था तभी उसकी माँ डिम्पल गौरांग ने कमरे में प्रवेश किया, और सामने आलीशान सोफ़े पर बैठ गई ।
क्या बात है इतने उखड़े उखड़े से लग रहे हो शैरी ? नौकर मंटो को पानी लाने का आदेश देते हुए अक्षांश की माँ ने बेटे अक्षांश से पूछा ?
कुछ नहीं माँ पुछो तो ही अच्छा है सबरीना के होने वाली ससुराल अगर गया भी तो मैं आप और डैड के कहने से ही गया वरना मैं तो उन लोगों के नाम व कर्म से ही अपना पूरा अनुमान जाने से पुर ही लगा लिया था । क्या खूब सोच लिया आप लोगों ने एक आधुनिक हाईली क्वालिफाइड आइकून की शादी के बारे में ... ऑ फ अक्षांश बोल गया
पहले ठंढा पानी पियो .... परेशान न हो
माम मैं दृष्टिरथ गौतम के घर गया उसके छोटे से घर के छोटे से बरामड़े में मुझे बैठाया गया घर में शायद जगह थी एक छोटी सी टेबल पर एक गांधी जी के चश्मे जैसा चश्मा जो एक धार्मिक किताब के ऊपर रखा हुआ था पास में एक बेंच देहाती किश्म की पड़ी मिली । कोने में एक बुजुर्ग एक सफ़ेद सी थैली में एक हाथ डाले मौन हो कुछ करते हुए मिले वो मुझे कोई रेस्पान्स न दे अपने काम में लगे रहे मुझे अच्छा नहीं लगा ।
वो माला जप रहे होंगे माम ने कहा
जो भी हो भीतर घर में से आवाजें रहीं थी दरवाजे पर एक पर्दा बेतरतीब लटक रहा था । बड़ी आसानी से घर की आवाज मैं सुन सकता था
माम आप यकीन करेंगी ?सब के सब हिन्दी /भोजपुरी में बातें कर रहे थे ! हाँ भोजपुरी में हिंदी में
घर के कुछ मेम्बर से मेरी मुलाक़ात हुई मुझे लगा मैं किसी और युग में आ गया हूँ जहा विकास का नामों निशान नहीं है । पता नहीं कैसे दृष्टिरथ उस परिवार से इंजीनियर बना ...मुझे हैरान करता है उसका भी संस्कार कमोबेस वही होगा ।
मैं अपनी बहन सबरीना के लिए ऐसा घर ऐसा घर का लड़का नहीं चुन सकता माँ ।आगे आप लोगों की मर्जी । मुझे न्यूयार्क से शादी मे नहीं आना । एक्सकुज मी माम ।
माइ सन ! डोन्ट वरी ।मैं भी नहीं चाहती ये रिश्ता ,तेरे डैड ने ज़ोर दिया तो तुम्हें भेजा पता नहीं उनको कैसे पसंद आया वो भी एक डाक्टर होकर क्या क्या अनाप शनाप सोच लेते हैं ... खैर जो भी हुआ भूल जाओ सबरीना को भी यह पसंद नहीं है
वी हैव टु सर्च अनदर डोर ...नॉट इन इंडिया अबराड़ आलसो ....
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उदय वीर सिंह .



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