बुधवार, 12 जुलाई 2017

उन्माद की आँधी क्यों चली

सोच तो है पर संकोच क्यों है 
वीर कातिल भी  निर्दोष क्यों है -
उन्माद की आँधी क्यों चली 
मासूम दिलों में असंतोष क्यों है -
इल्म का दर भी कातिलाना है 
मुर्दा भी सरफरोश क्यों है
जो वतन का है इंसानियत का 
मरने पर अफ़सोस क्यों है -
उदय वीर सिंह


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