कौन कहता है कंगाली है खाली है बदहाली है
दरबार भरे हैं वादों से
आँखों की ज्योति नहीं बदली चश्में सारे बदल रहे
चौबारे.विस्वास से खाली है,,बाजार भरे उन्मादों से
बढ़ती समस्याएँ हनुमान की पुंछ सदिस
अखबार भरे ,संवादों से
हासिल है मिश्री मक्खन उनको
मजलूम मरे.किसान.मरे अवससदों दों से ...
उदय वीर सिंह
दरबार भरे हैं वादों से
आँखों की ज्योति नहीं बदली चश्में सारे बदल रहे
चौबारे.विस्वास से खाली है,,बाजार भरे उन्मादों से
बढ़ती समस्याएँ हनुमान की पुंछ सदिस
अखबार भरे ,संवादों से
हासिल है मिश्री मक्खन उनको
मजलूम मरे.किसान.मरे अवससदों दों से ...
उदय वीर सिंह