गुरुवार, 2 मार्च 2017

युद्ध विकल्पविहीनता की स्थिति है

युद्ध विकल्पविहीनता की स्थिति है और विकल्प बंद नहीं हैं  
** विजेता की सेना पराजित के मानमर्दन स्वरूप उसकी स्त्रीयों का बलात्कार करता रहा है [इतिहास गवाह है ].... और आज स्वयंभू विजेता वही करने पर आमादा हैं  
**अरे सुखासिनों युद्ध की विभीषिका क्या होती है पीड़ित परिवारों पीड़ित देशों से पुछो ,अगर आँखों में नमीं है उनकी वेदना को महसूस करो शायद अवगत हो सको
** युद्ध ! रंगमहल की महफिल नहीं ,बहते रक्त मवाद आँसू भूख दर्द रुदन असमर्थता विपन्नता याचना यातना अपमान की पराकाष्ठा है युद्ध के उन्मादियों तुम अपने को कहाँ पाते हो आकलन स्वयम करो तो अच्छा है  
युद्ध पीड़ित परिवारों का हाल आज भी क्या है उनके मेडल बिक गए दी गई सहायता राशि आज भी लंबित है जीविकार्थ दी गई जमीने प्रतिष्ठान आज भी लंबित हैं ...... संवेदना कहाँ विलोप हो गई कभी तो सोचो  
** युद्ध में शहीदी किसी राजघराने से नहीं, किसी तथा कथित राजनीतिक परवारों से नहीं, किसी व्यवसायिक अद्योगिक घरानों से नहीं पाई जाती निःसन्देह सामान्य परिवारों से है युद्ध शासकों का सगल है अपनी सत्ता बचाए रखने लिए 
आओ एक पहल करते हैं अगर राष्ट्र प्यारा है तो प्रत्येक परिवार से एक सदस्य राष्ट्र हीत 10 साल तक बिना किसी पारिश्रमिक लिए अर्पित करते हैं मैं दोनों वाम दाम का आव्हान करता हूँ  
** राष्ट्र सेवा राजनीति नहीं है ,षडयंत्र नहीं है अर्पण का प्रतिदान नहीं है मुंह देखी गाथा नहीं कर्म की अनुषंशा हैअमिट हस्ताक्षर है केवल और केवल सर्वहित का मंगल संकल्प है,जिससे युद्ध प्रलापियों का कोई वास्ता नहीं
है  
जे प्रेम खेदन का चावो ,शिर धर तली गली मोरे आवो 
जे मरग पैर धरिजे शीश दिजे कान्ह कीजे { गुरु गोबिन्द सिंह }
उदय वीर सिंह







कोई टिप्पणी नहीं: