मंगलवार, 14 मार्च 2017

अर्थी ठेके पर उठाई जाए

इश्तिहारों से पीर जानी जाएगी 
ये वक्त भी आना था 
दिल टूटा हथौड़े इतने लगे 
संबंध कागज पर निभाए जाएँ 
ये वक्त भी आना था 
कंधे खाली नहीं कोमल हाथों से 
अर्थी ठेके पर उठाई जाए 
ये वक्त भी आना था -
इंसानियत जाए कोई फर्क नहीं 
नफरत सितम न जाए 
ये वक्त भी आना था -
जन्म दिन पर आएगी माँ बाप की 
शुभ आशीष अनाथालय से 
ये वक्त भी आना था -

उदय वीर सिंह 

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