मूल्यों का अवसान नहीं
हो
व्यतिरेक कहीं प्रतिमान न हो
आदर्श कहीं अभिमान नहीं हो
धूल-धूसरित सम्मान न हो -
पीड़ा के संग संवेदन
सरिता
वंचित का अपमान न हो
प्रत्याशा का प्रतीकार नहीं हो
सृजन कर्म व्यवधान न हो -
मद भेद कहीं स्थान न पाए
सत्य-पथ में विश्राम न हो
सहकार समन्वय गतिहीन नहीं
घर लिप्सा का निर्माण न हो -
सीमा-विहीन अधिकार नहीं हो
शमशीर कहीं भगवान न हो
प्रेमसंजीवन
अभिशप्त नहीं हो
मिथ्या विद्वेष महान न हो -
उदय वीर सिंह
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