चेत सिंह और सचेत सिंह दोनों सगे भाई अपने पिंड लावलपुर बैसाखी की खुशियों पर घर आए हैं , भरा पूरा दोनों का परिवार है दोनों के दो दो बच्चे जो स्कूली शिक्षा में हैं चेत सिंह कश्मीर में सरहद पर तैनात हैं। और सचेत सिंह नागरिक पुलिस में जो वर्तमान में जिला फगवाड़ा में एक चेक पोस्ट पर तैनात हैं । पिता बलदेव सिंह {अब स्वर्गीय } जो प्राइमरी विद्यालय में अध्यापक रहे उनकी हार्दिक इच्छा थी कि मेरा एक बेटा भारतीय सेना में व एक पुलिस में सेवा योगदान दे और दैवयोग से दोनों पिता कि इच्छानुसार अब सेना व पुलिस में अच्छे पदों पर सेवरत हैं । बड़े आनंद में जीवन बीत रहा है ।
शाम का समय गुलाबी वातावरण , लंबे चौड़ा सहन जो प्रकृति की सहजता में सजा जिसमे सुंदर विशाल घर अवस्थित है । शिक्षक पिता ने सुरम्य ग्राम्य वातावरण में हरियाली व प्रकृति प्रदत्त अनुकूल सहज उदात्त भाव का संयोजन किया है ,जिसमे जीवन सहजता से मुस्करा सकता है , किसी प्रदूषण व अप्रकृतिकता से बहुत दूर ,बहुत सुंदर । सामने मेज पर चाय पकोड़े आँय पेय पदार्थ खाद्य पदार्थ रखे हैं दोनों भाई और कुछ अन्य सगे संबंधी जमे हैं वार्ता के साथ खाना पीना जारी है ।
आज हमारा देश बाहर से कम अंदर की कमजोरियों से ज्यादा झुझ रहा है ,अगर भारत देश बीमार हुआ है तो कारण आंतरिक आघात बहुत हैं । चेत सिंह ने कहा ।
जी भाई साहब बात तो दुरुस्त है फेर भी बाहरी हस्तक्षेप भी कम नहीं हैं । सचेत सिंह ने कहा ।
सचेत सिंह ! बाहरी हस्तक्षेप का मौका आंतरिक कमजोरियों के कारण ही मिलता है । मसलन समाज में भेदभाव अन्याय कदाचार असहिष्णुता भावनाओं की अनदेखी सुरक्षा, शिक्षा ,विकास, अवसर की अनदेखी, मानवीय मूल्यों का क्षरण, राष्ट्र की अखंडता को तोड़ता है , जिसके संरक्षा में हमारे आंतरिक महकमे मसलन आंतरिक सुरक्षा न्यास पुलिस , विकास , न्याय, शिक्षा प्रशासन आदि सीधे जिम्मेदार हैं जिनकी संज्ञासून्यता से विक्षोभ वैनस्यता पूर्वागृह दुरागृह आकार पाते हैं ।भ्रष्टाचार कदाचार को जड़ जमाने का भरपूर अवसर मिलता है ।
भाई साहब सिर्फ आप आंतरिक व्यवस्था की तरफ अंगुली नहीं उठा सकते , वाह्य व्यवस्था भी कम जिम्मेदार नहीं है । सचेत सिंह ने कहा
तो क्या वाह्य व्यवस्था ने कहा है की पुलिस अपने कर्तव्यों से गिर जाए न्याय बिकने लगे , विकास पक्षपात पूर्ण हो जाए शिक्षा पतित हो जाए अवसर की अनदेखी हो ,हर तरफ अविस्वास का वातावरण उत्पन्न हो जाए । एक स्वांस में कुछ असहज होते हुये चेत सिंह बोले
भाई साहब वाह्य व्यवस्था की कृतघ्नता लापरवाही स्वार्थ सिद्धि ने वाह्य शक्तियों को अवसर प्रदान किया है हमारे आंतरिक व्यवस्था में खलल डालने का हस्तक्षेप करने का , वरना आज हम कमजोर न होते । सचेत सिंह ने प्रतिवाद किया ।
अरे क्यों व्यर्थ बहस विवाद में असहज हो रहे हो मित्रों ! शांत हो जाओ किरात सिंह जी ने हाथ मे चाय का प्याला लिए हस्तक्षेप किया । अरे बिट्टू कल का समाचार पत्र ले आना तो । किरत सिंह ने चेत सिंह के बड़े बच्चे को आवाज दिया ।
बिट्टू ने कल का समाचार पत्र लाकर किरात सिंह के हाथ मे थमा कर चला गया ।
लो भाई दोनों सरकारी मुलाजिमों ये पहला पन्ना ही पढ़ो रंगा हुआ है । पढ़ोगे या मैं ही सुनाऊँ
लो मैं सुनाता हूँ -
सेना का अधिकारी आय से अधिक संपत्ति के आरोप मे गिरफ्तार , सेना का हवलदार जासूसी में लिप्त गिरफ़्तार । अधिकारी भर्ती घोटाले में गिरफ्तार आदि आदि
पुलिस अधिकारी के घर से तीस करोड़ बरामद , विदेशी मुद्रा व सोने के विसकुट बरामद , फर्जी एनकाउंटर में अधिकारी गिरफ्तार ....
हवलदार ने बैंक लूटा , पूस्तेंनी जमीन तीन एकड़ नौकरी में आने के बाद बीस एकड़ आदि ! क्या क्या पढे । अब आप दोनों के ऊपर छोड़ता हूँ कौन है पाक दामन है । बता दो .... दोनों एक दूसरे को देख रहे थे
आगे सन्नाटा था ।
उदय वीर सिंह
शाम का समय गुलाबी वातावरण , लंबे चौड़ा सहन जो प्रकृति की सहजता में सजा जिसमे सुंदर विशाल घर अवस्थित है । शिक्षक पिता ने सुरम्य ग्राम्य वातावरण में हरियाली व प्रकृति प्रदत्त अनुकूल सहज उदात्त भाव का संयोजन किया है ,जिसमे जीवन सहजता से मुस्करा सकता है , किसी प्रदूषण व अप्रकृतिकता से बहुत दूर ,बहुत सुंदर । सामने मेज पर चाय पकोड़े आँय पेय पदार्थ खाद्य पदार्थ रखे हैं दोनों भाई और कुछ अन्य सगे संबंधी जमे हैं वार्ता के साथ खाना पीना जारी है ।
आज हमारा देश बाहर से कम अंदर की कमजोरियों से ज्यादा झुझ रहा है ,अगर भारत देश बीमार हुआ है तो कारण आंतरिक आघात बहुत हैं । चेत सिंह ने कहा ।
जी भाई साहब बात तो दुरुस्त है फेर भी बाहरी हस्तक्षेप भी कम नहीं हैं । सचेत सिंह ने कहा ।
सचेत सिंह ! बाहरी हस्तक्षेप का मौका आंतरिक कमजोरियों के कारण ही मिलता है । मसलन समाज में भेदभाव अन्याय कदाचार असहिष्णुता भावनाओं की अनदेखी सुरक्षा, शिक्षा ,विकास, अवसर की अनदेखी, मानवीय मूल्यों का क्षरण, राष्ट्र की अखंडता को तोड़ता है , जिसके संरक्षा में हमारे आंतरिक महकमे मसलन आंतरिक सुरक्षा न्यास पुलिस , विकास , न्याय, शिक्षा प्रशासन आदि सीधे जिम्मेदार हैं जिनकी संज्ञासून्यता से विक्षोभ वैनस्यता पूर्वागृह दुरागृह आकार पाते हैं ।भ्रष्टाचार कदाचार को जड़ जमाने का भरपूर अवसर मिलता है ।
भाई साहब सिर्फ आप आंतरिक व्यवस्था की तरफ अंगुली नहीं उठा सकते , वाह्य व्यवस्था भी कम जिम्मेदार नहीं है । सचेत सिंह ने कहा
तो क्या वाह्य व्यवस्था ने कहा है की पुलिस अपने कर्तव्यों से गिर जाए न्याय बिकने लगे , विकास पक्षपात पूर्ण हो जाए शिक्षा पतित हो जाए अवसर की अनदेखी हो ,हर तरफ अविस्वास का वातावरण उत्पन्न हो जाए । एक स्वांस में कुछ असहज होते हुये चेत सिंह बोले
भाई साहब वाह्य व्यवस्था की कृतघ्नता लापरवाही स्वार्थ सिद्धि ने वाह्य शक्तियों को अवसर प्रदान किया है हमारे आंतरिक व्यवस्था में खलल डालने का हस्तक्षेप करने का , वरना आज हम कमजोर न होते । सचेत सिंह ने प्रतिवाद किया ।
अरे क्यों व्यर्थ बहस विवाद में असहज हो रहे हो मित्रों ! शांत हो जाओ किरात सिंह जी ने हाथ मे चाय का प्याला लिए हस्तक्षेप किया । अरे बिट्टू कल का समाचार पत्र ले आना तो । किरत सिंह ने चेत सिंह के बड़े बच्चे को आवाज दिया ।
बिट्टू ने कल का समाचार पत्र लाकर किरात सिंह के हाथ मे थमा कर चला गया ।
लो भाई दोनों सरकारी मुलाजिमों ये पहला पन्ना ही पढ़ो रंगा हुआ है । पढ़ोगे या मैं ही सुनाऊँ
लो मैं सुनाता हूँ -
सेना का अधिकारी आय से अधिक संपत्ति के आरोप मे गिरफ्तार , सेना का हवलदार जासूसी में लिप्त गिरफ़्तार । अधिकारी भर्ती घोटाले में गिरफ्तार आदि आदि
पुलिस अधिकारी के घर से तीस करोड़ बरामद , विदेशी मुद्रा व सोने के विसकुट बरामद , फर्जी एनकाउंटर में अधिकारी गिरफ्तार ....
हवलदार ने बैंक लूटा , पूस्तेंनी जमीन तीन एकड़ नौकरी में आने के बाद बीस एकड़ आदि ! क्या क्या पढे । अब आप दोनों के ऊपर छोड़ता हूँ कौन है पाक दामन है । बता दो .... दोनों एक दूसरे को देख रहे थे
आगे सन्नाटा था ।
उदय वीर सिंह