काँटों की सेज पर गुल बिखर ही जाएँ तो वो दागदार होंगे
जिसने किस्मत में मांगा ही हो बेईमानी कैसे ईमानदार होंगे -
खरीदने और बेचने का अंतर जितना ज्यादा होगा मुनाफा होगा
और सिर्फ मुनाफा ही हो जिसका मकसद कैसे वफादार होंगे -
काजू की रोटियाँ खाने वाले को कणक के खेत रसुखदार नहीं लगते
वीर सोचो कालाहांडी -वनवासी गलियों के कैसे समाचार होंगे -
उदय वीर सिंह
जिसने किस्मत में मांगा ही हो बेईमानी कैसे ईमानदार होंगे -
खरीदने और बेचने का अंतर जितना ज्यादा होगा मुनाफा होगा
और सिर्फ मुनाफा ही हो जिसका मकसद कैसे वफादार होंगे -
काजू की रोटियाँ खाने वाले को कणक के खेत रसुखदार नहीं लगते
वीर सोचो कालाहांडी -वनवासी गलियों के कैसे समाचार होंगे -
उदय वीर सिंह
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