शौर्य को शमशीर का उपहार दे -
न बहने दे बेदना को आँखों से
शौर्य को शमशीर का उपहार दे
दया और करुणा के पक्षधर तो हैं
शांति के लिए शत्रु को संहार दे -
किसी गोरी गजनी की नजर उठे
दृष्टि छिन ले आँखों में अंधकार दे
संस्कार है अतिथियों का आदर करना
घातियों को मौत के घाट उतार दे -
उदय वीर सिंह
1 टिप्पणी:
ओजस्वी रचना
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