शुक्रवार, 18 नवंबर 2016

राष्ट्र वादी खून

    डॉ चाक चौबन्द सिंह अपने नर्सिंग होम " सेवा सदन ,आनंद नगर " में बैठे देश में हो रही खून की कमीं पर चिंतातुर मुद्रा में खिड़की से बाहर देखते जा रहे थे । बीमारों की संख्या निरंतर बढ़ती जा रही है ,पैंसठ फीसद लोग खून की कमीं के शिकार हैं रक्त- दान करने वालों की संख्या बहुत कम है । कोई सकारात्मक ठोस पहल होनी चाहिए ,वरना देश की सेहत को ठीक रखाना मुश्किल हो जाएगा । शाम का समय वे अपनी व्यस्ततम दिनचर्या से थोड़ा समय आराम के लिए  निकाल  एकांत प चाय की प्रतीक्षा में थे पर मानवीय संवेदना थी की समस्याओं को विचारों के साथ सँजोये हुये थी । तभी श्री चंपतराम हीराचंद मलकानी अपनी ऊँची आवाज में बड़बड़ाते डॉ चाक चौबन्द सिंह के कमरे में बेधड़क प्रवेश कर गए । और अपने गुस्से का इजहार करने लगे । 
   डॉ साहब ! मैं तुम्हें छोडुगा नहीं  ,कोर्ट तक घसीटुंगा तुमने डाक्टरी पेशे का मज़ाक उड़ाया है । तुम्हें कौन डाक्टर बनाया है ? मैं मुकदमा करुगा ,नुकसान की भरपाई के लिए हरजाना वसूल करूंगा ,क्या समझे ? तुमने मुझे ऐरा-गेरा समझ लिया है ,मैंने तुम्हें ऊँची फीस दी है और तूने मेरे बच्चे के जीवन के साथ खिलवाड़ किया है मेरे परिवार मेरी उन्नति मेरे विकास पर कुठारा घात  किया है  मैं लूट गया जी ,हे राम !श्री चंपतराम हीराचंद मलकानी को क्रोध से उतर कर अब गमगीन रुआंसे हो निढाल से हो गए थे  । 
डॉ साहब ने उन्हे सामने बैठने का इशारा किया । 
श्री मलकानी जी अपनी नाम आंखे पोछते हुये सामने बैठ गए ।
क्या हुआ है आपके बच्चे के साथ मलकानी जी ! मुझे  विस्तार से बताइये । डॉ चौबन्द सिंह ने प्यार जताते 
पूछा । 
थोड़ी देर बाद संयत हो  सम्हल कर बोले । 
डॉ साहब मेरा बेटा अब अनाप सनाप बोल रहा है । मैं क्या करूँ आपके इलाज के बाद जब से घर गया है उसकी आदत व्यवहार खान- पान  रहन सहन सब बदल गया है ।अब लगता ही नहीं की मेरे घर- परिवार का सदस्य है 
   कैसा व्यवहार कर रहा है कैसी तबदीली हो गई है ?और अगर बदलाव आया है तो अच्छी बात है । 
अरे डाक्टर खाक अच्छी बात है ? असहज हो फिर ऊँची आवाज में मलकानी जी उखड़ पड़े । 
      हमारा परिवार लक्ष्मी चरणो का दास है हम दिन- रात उसकी महिमा का गान करते हैं ।रूखा -सूखा नमक -रोटी खा कर सात्विक जीवन  जी लेते हैं ।  जेवर, जमीन ,जायदाद व्याज पर रकम देकर जरूरत मंदों कीजहां तक हो सके  पुरजोर मदद करते हैं । यही हमारा कर्म  धर्म है । 
     और हमारा बेटा जय हिन्द !  जय हिन्द ! जय भारत माता ! जय भारत माता बोल रहा है ।न जाने  ये कौन देवता कौन देवी है ! न जाने उसे क्या हो गया है । मलाई रबड़ी घी के बगैर खाता नहीं ,हम इतना व्यंजन तीज त्योहारों में भी नहीं खाते और मुआ ये ...... सब आपकी इलाज का असर है । बचाओ मुझे ! वरना डॉ साहब मैं कानूनी  कार्यवाही के लिए मजबूर हो जाऊंगा .... कुछ करो ... मलकानी  जी बोले ।
     हॅलो डॉ महिमा ! जरा मेरे पास श्री  रुपचन्द चपतराम  मलकानी की फाइल लेकर आइये ।  डॉ चाक चौबन्द सिंह ने इंटरकाम पर बोला । 
 थोड़ी देर में डॉ  महिमा  श्री चंपतराम  जी के पुत्र की फाइल के साथ डॉ चौबन्द के पास हाजिर हुईं । 
केश  हिस्ट्री को पढ़ने के बाद डॉ चाक चौबंद बड़ी गंभीर मुद्रा में बोले । 
 भाई चंपतराम जी आप के पुत्र की जान बचाने के लिए जो खून उपलव्ध था उसको चढ़ाया गया  महत्वपूर्ण था  उसकी जान बचना, इस लिए ये गलती हो गई है । गंभीर बात ये है की वह खून एक राष्ट्र भक्त का था । अगर आप कहें तो उसका खून निचोड़ लिया जाय और किसी अन्य का जिसे आप कहे खून चढ़ा दिया जाय । डॉ चौबन्द सिंह बोले । 
       क्या किसी और का खून नहीं मिला आपको,  वही मिला ? डॉ फौरन हमारा खून चढ़ाओ वह हमारा बेटा है ,उसे हमारी आदतों में ढलना होगा .... आगे हम कुछ नहीं सुनना चाहते ।  वरना कानूनी कार्यवाही करूंगा ही करूंगा ...... श्री चंपतराम हीराचंद मलकानी का अटल निर्णय था । 

उदय वीर सिंह 


     

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