मंगलवार, 25 अक्तूबर 2016

कुछ गुजर गई

कुछ गुजर गई  है जिंदगी 
कुछ गुजर रही है आज भी-
सूरज  तारे चाँद  प्रश्नगत 
ले प्रश्न खड़े हैं चिराग भी -
किश्तों में कुछ बिखर गई 
कुछ बिखर रही है आज भी -
कुछ संवारा काल  की धुन 
कुछ की नेह  आवाज भी -
प्रेम का सौदा  किया जब 
तख्त छूटा,  ताज भी -
जब घरौंदा नम हुआ 
पर गये  परवाज़ भी -

उदय वीर सिंह 

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