बुधवार, 13 अप्रैल 2016

बैसाखी [The Yug testament ]

बैसाखी ! { The yug testament }
1- आज के दिन ही एक आध्यात्मिक अंतहीन गौरवमयी प्राणवायु का संचार हुआ खालसा पंथ का सृजन सिख पंथ के दसवें गुरु गोविंद सिंह जी महाराज के द्वारा । जातिविहीन राष्ट्र सेवक वालिदानी जत्थों [ खालसा ] का निर्माण आकार लिया । जिसने भारत ही नहीं सम्पूर्ण विश्व में अपनी पहचान व गौरवमई कृत्यों से आज भी देदीप्यमान है ।
2 - अकेला अभूतपूर्व अद्भुत, हुआ न होगा विचार जन्म लिया -
" आपे गुरु चेला '
3 - समाजवाद का अभ्युदय हुआ जिसके संदर्भों में आज का संविधान लक्षित होता है ।
4 - अविचल राष्ट्रवाद को प्रखर दिशा मिली
5 - सामाजिक क्रांति का सूत्रपात व बहस को नए आयाम मिले ।
6 -धार्मिक उन्मादियों व हठवादियों का पतन आरंभ हुआ हुआ । मानव मात्र को मनुष्य होने का अहसास हुआ ।
7 - भारतीय जागरण काल ने सर्वोदय का अविवादित नेतृत्व पाया ।
8 - जालियाँ वाला हत्याकांड व अन्य भारतीय राष्ट्रीय आंदोलनों का वाचक बना
9 - सामाजिक समरसता व आर्थिक उन्नयन का प्रतीक है ।
10- अंतिम सूत्र वाक्य हम एक हैं ।
बैसाखी सदृश तिथियों का आगमन युगों में कदाचित होता है ।
उदय वीर सिंह

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