ताआरुफ़ की एक नजर .....
मैं भी चाहता हूँ हंसू मुस्कराऊँ
हंसने की कोई वजह दीजिये तो -
मैं भी चाहता हूँ एक आशियाना
रहने की कोई जगह दीजिये तो -
मुखातिब हूँ मैं उदय तेरी महफिल
तारुफ़ की एक नजर दीजिये तो -
पैरों के छाले अब चलने न देते
ठहरने को कोई शजर दीजिये तो -
उदय वीर सिंह
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