विदेशियों ने लूटा इस देश को तो
हम क्यों नहीं हममें क्या कमी है-
यहाँ विषमताओं का जंगल वाद फिरके हैं
विवादों के लिए उत्तम उर्वरा जमीं है-
देश भक्ति के चोले में पलता है द्रोह
बिकता ईमान सस्ता आदमीं है -
आचार संहिताओं की फेहरिस्त लंबी है
इन्हें मानों न मानो ये मर्जी अपनी है-
यहाँ खड़े चर्च गुरुद्वारे मंदिर मस्जिद
फिर भी प्यार की कितनी कम रौशनी है -
कर्ज मेँ गरीब की लूटीआश घरबार जीवन
कर्ज अमीर की कितनी अच्छी आमदनी है-
उदय वीर सिंह
उदय वीर सिंह
1 टिप्पणी:
बहुत सुन्दर
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