गा रहे हैं गीत एक ,मेरे हमनवा नसीब है
कस्रे मोहब्बत पास है हर रोज मेरी ईद है -
गुल खिलेंगे हर डाल पर गर गुलशन रहा
भूल जाएंगे ख़िज़ाँ के वस्ल को उम्मीद है -
हम सिकंदर न हुये हमसफर हैं हम कदम
फतह हमारी है लिखी गर दौर भी रकीब है -
गुरबती गर साथ है तो हौसला भी कम नहीं
डूबा सफ़ीना गम नहीं साहिल अब करीब है -
उदय वीर सिंह
1 टिप्पणी:
उदात्त भाव का जीवन।
एक टिप्पणी भेजें