जी तो लूँगा बगैर दाल सब्जी
पर रोटी तो चाहिए -
तन झाँकता है धनियाँ का
शिगाफों से बेतरह
कम से कम धोती तो चाहिए -
रेशम मलमलो मखमल के सौदागरों
गरीब के तन पर
आखिर एक लंगोटी तो चाहिए -
टांग सके आश व विस्वास को
जो पाया वादों मेँ
एक मजबूत खूंटी तो चाहिए -
खड़े हो लाश पर जीवन की बात करते हैं
आखिर उनके शतरंज के जानिब
कोई गोटी तो चाहिए -
मुझे गिला नहीं तेरे कम्युनिजम
कैपिटलिजम से हमें
अँधेरों मेँ ज्योति तो चाहिए -
उदय वीर सिंह