गुरुवार, 17 दिसंबर 2015

शहादत दिवस 'गुरु तेगबहादुर सिंह जी ' .

महफूज है ये धरती शहादत की रौशनी से ....
नौवे पातशाह सिक्ख गुरु श्री तेगबहादुर सिंह जी महाराज जिन्हें जग ' हिन्द की चादर ' के नाम से पुकारता है ,उनके शहदी दिवस पर अश्रुपूरित नैनों से विनम्र श्रद्धांजलि अर्पित करते हये अरदास [संकल्प ] करते हैं ,बाबे हर जन्म में तेरा प्यार, संस्कार, सदका मिले तेरी ' मीरी और पीरी ' पर खरा उतरें । जुल्म जबर का अंत मानवता की रक्षा हमारा लक्ष्य हो ... ।
आप जी दी शहीदी हमारी प्रेरणा ,संस्कार व गौरव का स्रोत है ...। आप जी का जीवन हिन्दुत्व की धर्म की रक्षा में सहर्ष अर्पित हो गया ,एक नया सूरज एक नया आसमान देकर । गर्व है हम आपके वारिस हैं ।
गुरु तेग बहादुर के चलत भयो जगत में शोक
हाय !हाय ! सब जग करे,जय,जय जय सुरलोक ॥
नौवे पातशाह ने फरमाया -
चिंता ताकी कीजिये जो अनहोनी होय .... ।
जो अपने आप में एक दर्शन समेटे है जो समीचीन ही नहीं सार्वकालिक है जरूरत है मीरी और पीरी के साथ आत्मसात करने की ।
दाते ! हम ऋणी हैं आप के .....
उदय वीर सिंह

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