रोटी से दाल ने किनारा किया है
दुश्वार जीना हमारा किया है -
रोटी संग घी अब मयस्सर नहीं है
अच्छे दिनों ने ईशारा किया है -
वादों की रोटियाँ सिकती रही हैं ,
ख्वाबों से रिस्ता गवारा किया है -
दवा की जगह ले रही हैं दुआएं
मौसम ने भी बे-सहारा किया है -
फल मूल भाजी से दूरी बहुत है
नमक रोटियों पर गुजारा हुआ है -
उदय वीर सिंह
दुश्वार जीना हमारा किया है -
रोटी संग घी अब मयस्सर नहीं है
अच्छे दिनों ने ईशारा किया है -
वादों की रोटियाँ सिकती रही हैं ,
ख्वाबों से रिस्ता गवारा किया है -
दवा की जगह ले रही हैं दुआएं
मौसम ने भी बे-सहारा किया है -
फल मूल भाजी से दूरी बहुत है
नमक रोटियों पर गुजारा हुआ है -
उदय वीर सिंह
कोई टिप्पणी नहीं:
एक टिप्पणी भेजें