शुक्रवार, 9 अक्तूबर 2015

दाल- रोटी

रोटी से दाल ने किनारा किया है 
दुश्वार जीना हमारा किया है -

रोटी संग घी अब मयस्सर नहीं है 
अच्छे दिनों ने ईशारा किया है -

वादों की रोटियाँ सिकती रही हैं ,
ख्वाबों से रिस्ता गवारा किया है -

दवा की जगह ले रही हैं दुआएं 
मौसम ने भी बे-सहारा किया है -

फल मूल भाजी से दूरी बहुत है 
नमक रोटियों पर गुजारा हुआ है -

उदय वीर सिंह 


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