रविवार, 27 सितंबर 2015

जब टूट गए पेड़ों से फल

जब टूट गए पेड़ों से फल ,
पत्थर भी गुमनाम हुए -
खाया सबने बैठ बाँट मिल
व्यर्थ वृक्ष बदनाम हुए -
हर शाख शाख पर कोयल थी
कौवे भी मेहमान हुए -
आया पतझर दूर हुए सब
अवांछित सामान हुए -
जब जीवन की शाम हुई तो
रिश्ते भी बेनाम हुए -
जिस पथ से गंतव्य मिला
वो पल में ही अनजान हुए -

उदय वीर सिंह

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