मंगलवार, 18 अगस्त 2015

अपनी मशालों से

वतन जल रहा है आज अपनी मशालों से
उठने लगी है आग ,मस्जिदों शिवालों से -
सिवई ,मलाई, लस्सी मिल बाँट खाये थे
क्या हुआ मिजाज थाली पूछती निवालों से -
सांझी थी होली ,ईद ,बैसाखी दीवाली थी
आज देखती हैं आँखें क्यों अनेकों सवालों से-
मादरे - वतन का पाक दामन तो एक है ,
क्यों बांटते हो प्रश्न आज मजहबी दलालों से -
खून सुर्ख एक है ,रंग - बिरंगे लिबास हैं 
इंसानियत का गीत क्यो उठा है ख़यालों से -

उदय वीर सिंह

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