सिवई ,मलाई, लस्सी मिल बाँट खाये थे
क्या हुआ मिजाज थाली पूछती निवालों से -
क्या हुआ मिजाज थाली पूछती निवालों से -
सांझी थी होली ,ईद ,बैसाखी दीवाली थी
आज देखती हैं आँखें क्यों अनेकों सवालों से-
आज देखती हैं आँखें क्यों अनेकों सवालों से-
मादरे - वतन का पाक दामन तो एक है ,
क्यों बांटते हो प्रश्न आज मजहबी दलालों से -
क्यों बांटते हो प्रश्न आज मजहबी दलालों से -
खून सुर्ख एक है ,रंग - बिरंगे लिबास हैं
इंसानियत का गीत क्यो उठा है ख़यालों से -
उदय वीर सिंह
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