खेतों में अपनी बर्बादियों का मंजर देखा
बड़ी गमगीन नजरों से लुटा हुआ मुकद्दर देखा -
बडी हसरतों से ख्वाबों की नेक फसल बोया
कणक के दानों की जगह नामुराद पत्थर देखा -
याद आया बैंक का कर्ज,पढ़ाई बेटी की कुड़माई
जेहन में मौत का फासला मुख्तसर देखा -
कितना यतीम वना गए पानी के सफ़ेद गोले
सूनी निगाहों से रब कभी घर को भर नजर देखा-
हर दरो-दीवार की सरगोशियों में मसर्रत थी
कल तक तामिरे ताज ,आज खंडहर देखा -
उदय वीर सिंह
बड़ी गमगीन नजरों से लुटा हुआ मुकद्दर देखा -
बडी हसरतों से ख्वाबों की नेक फसल बोया
कणक के दानों की जगह नामुराद पत्थर देखा -
याद आया बैंक का कर्ज,पढ़ाई बेटी की कुड़माई
जेहन में मौत का फासला मुख्तसर देखा -
कितना यतीम वना गए पानी के सफ़ेद गोले
सूनी निगाहों से रब कभी घर को भर नजर देखा-
हर दरो-दीवार की सरगोशियों में मसर्रत थी
कल तक तामिरे ताज ,आज खंडहर देखा -
उदय वीर सिंह
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