गुरुवार, 2 अप्रैल 2015

निषेचित होता है प्रभात ..

निषेचित होता है प्रभात 
तमस के गर्भ में-
राजीव आकार पाता है 
कलुष कीच के गर्त में -
ज्योत्सना अभिसरित होती है 
निहारिका के अंतस्थल से -
क्रांतियाँ कोख पाती हैं 
निशिद्धता दमन के संघर्ष में -
कभी पीड़ा नैसर्गिक होती नहीं 
सृजित होती है उत्कर्ष में -
उदय वीर सिंह

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