उन्नयन (UNNAYANA)
मंगलवार, 4 नवंबर 2014
दिल लगता -
पढ़ो किसी सृजन को तो
दिल लगता-
किसी दृदय को सुनो तो
दिल लगता -
आँखों में बसो दिलवर तो
दिल लगता -
तुम मेरे हो ,कहे कोई तो
दिल लगता -
चुप हो धरती वो गगन
तुम पास हो तो
दिल लगता -
उदासियों में तेरा अहसास हो तो
दिल लगता -
उदय वीर सिंह
कोई टिप्पणी नहीं:
एक टिप्पणी भेजें
नई पोस्ट
पुरानी पोस्ट
मुख्यपृष्ठ
सदस्यता लें
टिप्पणियाँ भेजें (Atom)
कोई टिप्पणी नहीं:
एक टिप्पणी भेजें