बुधवार, 13 अगस्त 2014

लौट आने के बाद ....

लौट आने के बाद ....

न थी मेरी सिफारिश न पैरोकार कोई
जश्न ख़त्म होने के बाद मैं याद आया -

इंतजार में था मैं, सुबह से कतार में 

लौट आने के बाद ,मेरा  नाम आया-

ग़मों के पैरहन में मैं उन्हें अच्छा लगा
उम्दा - खयाली का मुझे इनाम आया -

मेरी गुरबती पर हंसी अच्छी लगती है
माँगा था पानी,मगर हाथ में जाम आया -



                            -  उदय वीर सिंह 



2 टिप्‍पणियां:

सुशील कुमार जोशी ने कहा…

वाह बहुत सुंदर ।

रविकर ने कहा…

आपकी उत्कृष्ट प्रस्तुति आज गुरुवारीय चर्चा मंच पर ।। आइये जरूर-