मुख्तारम
***********
ताशकंद (उज़बेकिस्तान) की तकरीबन सात वर्षीया बालिका का भारत ( इंडिया ) प्रेम मुझे उद्वेलित करता है | मेरे चार्वाक झील के भ्रमण के दौरान मैं बेफिक्र कैमरा लिए बेमिशाल वातावरण व स्वर्ग सरीखे दृश्यों को अपने कैमरे में कैद करने में लीन व सौंदर्य का अवलोकन मंत्रमुग्ध हो कर रहा था , कि एक नन्हें हाथों की नन्हीं उँगलियों ने मुझे स्पर्श किया | पीछे देखा तो एक परी सी अल्हड़ बालिका को संकोची मुस्कराहट के साथ पाया |
हेलो माई डॉटर !
" दस्वेदानियां " मैंने बोला |
नमस्ते ! उत्तर में वह बोली |
मैं मंत्रमुग्ध रह गया ,कुछ दुरी पर बालिका की माँ व एक साल उससे बड़ा भाई हमदोनों की ओर देख मुसकरा रहे थे | मैंने उन्हें देख हाथ जोड़ नमस्ते किया | वे पास आये
मैंने बालिका से पूछा
व्हाट इज़ योर नेम ?
वह मुंह पर हाथ रख खिलखिला कर हंस पड़ी और अपनी माँ की और देखा
माँ ने कुछ कहा जो मुझे समझ नहीं आया,
पर वह बालिका बोली -
यू इंडिया ?
यस ! आई ऍम फ्रॉम इंडिया | मैं बोला |
"आई लव इंडिया " वह चहकते हुए बोली
मैं कुछ पूछता, वह बोली -
यू नेम ? मूलतः वह उज्बेक भाषा जानती थी | अंग्रेजी भी स्कूल में सिख रही थी | वह जान गयी थी की मुझे उज्बेक भाषा नहीं आती है ,इसलिए अंग्रेजी में कुछ स्वयं व अपनी माँ की सहायता से मुझसे संवाद करने का मोह नहीं छोड़ पा रही थी |
उदय वीर सिंह , अपनी तरफ इशारा करते हुए मैंने उसे अपना नाम बताया
उदे वीर सिं ! गुड और बेबाक हंस पड़ी |
मैंने फिर उसका नाम पूछा |
अपनी मां की तरफ देखा फिर बोली
मुगझारम ..|
मैं समझ नहीं पाया ,मेरे चहरे पर प्रश्न चिन्ह के भाव थे | मुगझारम ! बोल वह फिर मेरी तरफ देखा |
मेरी असहज स्थिति को देख उसने कलम की ओर इशारा किया मैंने उसे कलम दे दिया |
फिर उसने मेरे दाहिनी हथेली पर अंग्रेजी अल्फाबेट में
अपना नाम लिखा -
" muxaram "
एक सुखद अहसास .
मैंने बोला "मुख्तारम " !.
मुस्कराते हुए उसने अपना सिर हिलाया | .
.और मुझे मेरी कलम देते हुए उसने अपनी हथेली मेरी ओर कर दिया |
मैंने उसकी हथेली पर मैंने औटोग्राफ दे दिया,उसने
अपना दूसरा हाथ भी आगे किया |
मैंने दूसरे हाथ पर "INDIA " लिखा |
उसका भाई उत्सुकता से अपना हाथ मेरी ओर किया और मैंने अपने हस्ताक्षर उसके भी हथेली पर कर दिए |
दोनों भाई बहन अब अपनी माँ के पास थे |
मुझे आगे जाना था , चल पड़ा
दस्वेदानियां ...|
दस्वेदानियां ! नमस्ते ! नमस्ते ! का स्वर मैं सुन रहा था
मुख्तारम का निश्छल वात्सल्य प्रेम बरबस याद आता है-
नमस्ते ! यू इंडिया ?
- उदय वीर सिंह
***********
ताशकंद (उज़बेकिस्तान) की तकरीबन सात वर्षीया बालिका का भारत ( इंडिया ) प्रेम मुझे उद्वेलित करता है | मेरे चार्वाक झील के भ्रमण के दौरान मैं बेफिक्र कैमरा लिए बेमिशाल वातावरण व स्वर्ग सरीखे दृश्यों को अपने कैमरे में कैद करने में लीन व सौंदर्य का अवलोकन मंत्रमुग्ध हो कर रहा था , कि एक नन्हें हाथों की नन्हीं उँगलियों ने मुझे स्पर्श किया | पीछे देखा तो एक परी सी अल्हड़ बालिका को संकोची मुस्कराहट के साथ पाया |
हेलो माई डॉटर !
" दस्वेदानियां " मैंने बोला |
नमस्ते ! उत्तर में वह बोली |
मैं मंत्रमुग्ध रह गया ,कुछ दुरी पर बालिका की माँ व एक साल उससे बड़ा भाई हमदोनों की ओर देख मुसकरा रहे थे | मैंने उन्हें देख हाथ जोड़ नमस्ते किया | वे पास आये
मैंने बालिका से पूछा
व्हाट इज़ योर नेम ?
वह मुंह पर हाथ रख खिलखिला कर हंस पड़ी और अपनी माँ की और देखा
माँ ने कुछ कहा जो मुझे समझ नहीं आया,
पर वह बालिका बोली -
यू इंडिया ?
यस ! आई ऍम फ्रॉम इंडिया | मैं बोला |
"आई लव इंडिया " वह चहकते हुए बोली
मैं कुछ पूछता, वह बोली -
यू नेम ? मूलतः वह उज्बेक भाषा जानती थी | अंग्रेजी भी स्कूल में सिख रही थी | वह जान गयी थी की मुझे उज्बेक भाषा नहीं आती है ,इसलिए अंग्रेजी में कुछ स्वयं व अपनी माँ की सहायता से मुझसे संवाद करने का मोह नहीं छोड़ पा रही थी |
उदय वीर सिंह , अपनी तरफ इशारा करते हुए मैंने उसे अपना नाम बताया
उदे वीर सिं ! गुड और बेबाक हंस पड़ी |
मैंने फिर उसका नाम पूछा |
अपनी मां की तरफ देखा फिर बोली
मुगझारम ..|
मैं समझ नहीं पाया ,मेरे चहरे पर प्रश्न चिन्ह के भाव थे | मुगझारम ! बोल वह फिर मेरी तरफ देखा |
मेरी असहज स्थिति को देख उसने कलम की ओर इशारा किया मैंने उसे कलम दे दिया |
फिर उसने मेरे दाहिनी हथेली पर अंग्रेजी अल्फाबेट में
अपना नाम लिखा -
" muxaram "
एक सुखद अहसास .
मैंने बोला "मुख्तारम " !.
मुस्कराते हुए उसने अपना सिर हिलाया | .
.और मुझे मेरी कलम देते हुए उसने अपनी हथेली मेरी ओर कर दिया |
मैंने उसकी हथेली पर मैंने औटोग्राफ दे दिया,उसने
अपना दूसरा हाथ भी आगे किया |
मैंने दूसरे हाथ पर "INDIA " लिखा |
उसका भाई उत्सुकता से अपना हाथ मेरी ओर किया और मैंने अपने हस्ताक्षर उसके भी हथेली पर कर दिए |
दोनों भाई बहन अब अपनी माँ के पास थे |
मुझे आगे जाना था , चल पड़ा
दस्वेदानियां ...|
दस्वेदानियां ! नमस्ते ! नमस्ते ! का स्वर मैं सुन रहा था
मुख्तारम का निश्छल वात्सल्य प्रेम बरबस याद आता है-
नमस्ते ! यू इंडिया ?
- उदय वीर सिंह