कोई अंजुमन में शरारत रचोगे फरेबों की कोई इबारत लिखोगे - वादों में अपनी शहादत लिखोगे रकीबों को अपनी हिफाजत लिखोगे - पांवों में अपने न होगी विबाई रख ऊपर जमीं से महावर रचोगे -
रश्में -मोहब्बत से तुमको क्या लेना
यहाँ आज हो ,कल कहीं जा बसोगे- सदा न रहेगा ये मंजर हंसी का रो -रो कर एक दिन इबादत करोगे -
1 टिप्पणी:
हर दिन अपना एक जीवन सा।
एक टिप्पणी भेजें