प्रस्तरों से गीत फूटा
ह्रदय में नव बौर आया
मंजरी रस-स्निग्ध होई
कुञ्ज में एक दौर आया -
वीथियां स्तव्ध दग्ध
ज्वाल सी बयार से
कहीं मलय के गांव से
स्नेह का एक ठौर आया -
जा चुका ओझल हुआ
बस कल्पना में पास था
विस्मृत हुई स्मृतियों में
आज फिर से लौट आया -
हो अंतहीन पथ कहीं
तब टूटता है धैर्य भी
सिले हुए अधर खुले
आज कोई मौन गाया-
- उदय वीर सिंह
3 टिप्पणियां:
वाह बहुत सुंदर ।
वाह बहुत सुंदर ।
सुन्दर प्रस्तुति...
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