गुरुवार, 27 मार्च 2014

जय बोलें किसकी ..

बोल कलम !जय बोलें किसकी 
किसके यश किसके अपयश की-
षड़यंत्रो  के  मद महासमर  में 
अर्जुन  की या जयद्रथ  वध की -
***
सफ़ेद - झूठ   के   दस्तावेजों 
कसमें खाकर कहने वालों की 
ऊँचे  मोल, न्याय  से   वंचित    
जन- पथ  या जगमग पथ की -
***
हो बंधी आश  जंजीरों से जब
निष्फल  क्रंदन  है  याचन भी 
अन्याय  समर्थित  उद्दघोष उठे 
तो जनगण की या जनपथ की -

                     -  उदय वीर सिंह 

7 टिप्‍पणियां:

सुशील कुमार जोशी ने कहा…

बहुत खूब । कलम ही बोल सकती है सच बस !

कालीपद "प्रसाद" ने कहा…

बहुत सुन्दर,सटीक !
लेटेस्ट पोस्ट कुछ मुक्तक !

प्रवीण पाण्डेय ने कहा…

जय आशा और धर्म की।

Tamasha-E-Zindagi ने कहा…

आपकी यह पोस्ट आज के (२७ मार्च, २०१४) ब्लॉग बुलेटिन - ईश्वर भी वेकेशन चाहता होगा ? पर प्रस्तुत की जा रही है | बधाई

बेनामी ने कहा…

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Parmeshwari Choudhary ने कहा…

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डॉ. रूपचन्द्र शास्त्री 'मयंक' ने कहा…

सुन्दर रचना।
पढ़कर अच्छा लगा।