मंगलवार, 26 नवंबर 2013

जन्म लेती प्रीत अंतस



जन्म    लेती    प्रीत   अंतस 

तब   सृजन   आकार   लेता -
अद्दभुत प्रगल्भ कोपलों  को 
नव     प्रखर    आधार   देता -

बिहँस    उठता  मान  पियूष 
पल    मंजरी    की   गोंद  में ,
चिर प्रतीक्षित सौंदर्य श्यामा
सौम्य   नवल   संसार   देता - 

उत्सव   सहेजे    अंक  बसुधा 
संज्ञान    सलिला    बह   चले 
हो निंमज्जित स्नेह - रस में 
शुभ भाव - प्रवर आभार देता -

संवेदनाएं       बांचती       कथ    
वेदन- पृष्ठ   की    हर   पंक्तियाँ 
लालित्य  का  प्रतिमान   बांधे 
शौर्य का अप्रतिम संसार  देता 

                                   उदय वीर सिंह 

2 टिप्‍पणियां:

Anupama Tripathi ने कहा…

सुंदर प्रखर भाव एवं अभिव्यक्ति ...!

प्रवीण पाण्डेय ने कहा…

सृजन के सुन्दर भाव..