आ खेलें !
बचपन-बचपन
ना हो पटोले स्वर्ण जडित
न हो रेशम की सेज भले-
आ छू लें नभ पहन के बोरे,
कितना अक्षत है अल्हड़पन -
धूल - धूसरित तन मैला
मन उज्वल हिमगिरी जैसा
राग - द्वेष से दूर बहुत
ह्रदय संकलित है सुंदरवन -
पुष्प सुगंध कली किसलय
लता- लिपटी झूलों से कहाँ
पग नेह लगे कंटक पथ सों
पुलक उठता है अंतर्मन-
निश्छल मन के विह्वल पल
आनंद भरे , विद्वेष दूर
वात्शल्य परोसे हँसे अधर
ऊँची छलांग मधुर जीवन -
क्या जाने छल छद्म, प्रपंच
बचपन-बचपन
ना हो पटोले स्वर्ण जडित
न हो रेशम की सेज भले-
आ छू लें नभ पहन के बोरे,
कितना अक्षत है अल्हड़पन -
मन उज्वल हिमगिरी जैसा
राग - द्वेष से दूर बहुत
ह्रदय संकलित है सुंदरवन -
पुष्प सुगंध कली किसलय
लता- लिपटी झूलों से कहाँ
पग नेह लगे कंटक पथ सों
पुलक उठता है अंतर्मन-
निश्छल मन के विह्वल पल
आनंद भरे , विद्वेष दूर
वात्शल्य परोसे हँसे अधर
ऊँची छलांग मधुर जीवन -
क्या जाने छल छद्म, प्रपंच
असत्य प्रमाद षड्यंत्र -हीन
अपमान मान से क्या लेना
पीया मद-प्रीतशैशव अनन्य-
अपमान मान से क्या लेना
पीया मद-प्रीतशैशव अनन्य-
मदमाती मिटटी की गोंद
वसन-हीन तन कांति भरा
स्वर्ण आभूषण फीके लगते
नैशर्गिक रूप सजा अनुपम -
-उदय वीर सिंह
वसन-हीन तन कांति भरा
स्वर्ण आभूषण फीके लगते
नैशर्गिक रूप सजा अनुपम -
-उदय वीर सिंह
6 टिप्पणियां:
सुन्दर प्रस्तुति...!
--
आपको सूचित करते हुए हर्ष हो रहा है कि आपकी इस प्रविष्टि का लिंक आज बुधवार (11-09-2013) को हम बेटी के बाप, हमेशा रहते चिंतित- : चर्चा मंच 1365- में "मयंक का कोना" पर भी है!
सादर...!
आप सबको गणेशोत्सव की हार्दिक शुभकामनाओं के साथ...!
डॉ.रूपचन्द्र शास्त्री 'मयंक'
बहुत सुन्दर प्रस्तुति.. आपको सूचित करते हुए हर्ष हो रहा है कि आपकी पोस्ट "हिंदी ब्लॉगर्स चौपाल {चर्चामंच}" में शामिल की गयी और आप की इस प्रविष्टि की चर्चा कल {बृहस्पतिवार} 12/09/2013 को क्या बतलाऊँ अपना परिचय - हिंदी ब्लॉगर्स चौपाल - अंकः004 पर लिंक की गयी है ,
ताकि अधिक से अधिक लोग आपकी रचना पढ़ सकें. कृपया आप भी पधारें, सादर ....राजीव कुमार झा
अहा, पढ़ता गया, मन आनन्द से भरता गया। मन की असीमित ऊर्जा देखने के लिये बचपन जीवन्त रहे।
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क्या जाने छल छद्म, प्रपंच
असत्य प्रमाद षड्यंत्र -हीन
अपमान मान से क्या लेना
पीया मद-प्रीतशैशव अनन्य-
मदमाती मिटटी की गोंद
वसन-हीन तन कांति भरा
स्वर्ण आभूषण फीके लगते
नैशर्गिक रूप सजा अनुपम -
वाह वाऽहऽऽ…!
बचपन का बहुत सुंदर चित्रण !
आदरणीय उदय वीर सिंह जी
प्रणाम
आपकी सुंदर रचनाएं पढ़ कर मन आनंद से भर जाता है...
साधुवाद !
हार्दिक शुभकामनाओं मंगलकामनाओं सहित...
-राजेन्द्र स्वर्णकार
अल्हड बचपन की यादें एक मधुर स्मृति है बहुत अच्छी रचना
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बढ़िया भाई
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