रविवार, 9 जून 2013

याद आया..

रहा   गुमनामियों     में    ताउम्र 
ना भूले भी किसी को याद आया 
मेरी  रुखसती  पर  सबाब आया 
ख़त      का        जबाब     आया -
जब  चला  अंतिम सफ़र मितरां 
दौर-ए- फ़साना बहुत याद आया-

                  --   उदय वीर सिंह 

                   

  

5 टिप्‍पणियां:

प्रवीण पाण्डेय ने कहा…

वाह, बहुत दमदार..

Kailash Sharma ने कहा…

जब चला अंतिम सफ़र मितरां
दौर-ए- फ़साना बहुत याद आया-

....बहुत ख़ूबसूरत प्रस्तुति...

Smart Indian ने कहा…

चलना कौन चाहता है जी!

Tamasha-E-Zindagi ने कहा…

आपको यह बताते हुए हर्ष हो रहा है के आपकी यह विशेष रचना को आदर प्रदान करने हेतु हमने इसे आज ( २३ जून, २०१३, रविवार ) के ब्लॉग बुलेटिन - छह नीतियां पर स्थान दिया है | बहुत बहुत बधाई |

Madan Mohan Saxena ने कहा…

उत्क्रुस्त , भावपूर्ण एवं सार्थक अभिव्यक्ति .