शहीदे आजम सरदार भगत सिंह की कुर्बानी की पूर्व संध्या पर मेरे अहसानमंद दिल की विनम्र श्रद्धांजलि
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गम नहीं कि मेरी आवाज गूंजती नहीं
तेरी आवाज ही काफी है सरफरोशी के लिए-
फख्र है ,तेरी मज़ार आग का दरिया है
नहाते हैं वतनपरस्त , गद्दार डूबते हैं -
एक तेरी फितरत थी वतन को मां कहने की
एक वो थे, जिन्हें माँ कहना नहीं आया -
तेरी कुर्बानी के कर्जदार हैं शहीदे- आजम
तेरा मुकाम ऊँचा है तेरे शाये में जीते हैं -
तेरी रुखसती में फ़क़ीर ! माँ नहीं रोई थी
आज रोती है ,आँखों में तेरा अक्स नहीं दिखता -
तेरे पावों के निचे खड़े पियादों की बिसात क्या
तूं ऊँचा तेरा मुकाम ऊँचा है -
उदय वीर सिंह
5 टिप्पणियां:
जिगरा दिखा दिया माटी के सपूत ने..
शहीद भगत सिंह को मेरा शत शत नमन | अहोभाग्य भारतमाता के जो ऐसे लाल ने यहाँ जन्म लिया और बलिदान दिया | शीश नवा कर मेरा कोटि कोटि प्रणाम |
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'एक तेरी फितरत थी वतन को मां कहने की
एक वो थे, जिन्हें माँ कहना नहीं आया'
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अब तो वही हैं जिन्हें माँ कहना नहीं आया,
इसलिये जब तू याद आया मेरा दिल भर आया!
शत - शत नमन ऐसे वीर को ...
पधारें "चाँद से करती हूँ बातें "
भारतमाता के सपूत शहीद भगत सिंह को मेरा शत शत नमन;
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