ख़ुशी के दीप जलें मुझे ख़ुशी होगी ,
आओ करें प्रयास जहाँ अँधेरा है-
चूल्हे बुझे हुए ,दिवा जले तो जले कैसे ,
विस्थापित हो तम , बनाये डेरा है -
एक दिन कीदिवाली से दीप्त नहीं आँगन ,
हर शाम उजारी हो ,एक ख्वाब उकेरा है -
जले न दिल , न बुझे चिरागे - हसरत ,
जाये कहीं दूर , जिसने पथ को घेरा है -
पढ़ सकें अनुबंध , इतनी तो रोशनी पायें,
कह सकें रात गयी , कल प्रभात मेरा है
हँसता ही रहे सदा,दिलो,दिवाली का दिया,
हर द्वार , शिवालों में इंतजार तेरा है
उदय वीर सिंह .
30 -04 -2011