कभी लिखा तफ़सील से,कभी मिटा गयी ,
हाथों की लकीरें, इतना पता बता गयीं -
लिखना तुम्हें पड़ेगा , मुकद्दर अपना,
कागज,कलम, दवात हाथों में थमा गयी -
बसतीं हैं हौसलों से मुकद्दर की बस्तियां ,
हाथों में जो नहीं थी ,हाथों में आ गयीं -
नैपोलियन , के हाथ में पाई न गयीं
कर्म की गलियों का, रास्ता बता गयी-
पौरुष के हाथ में है, किस्मत की पालकी,
हिम्मत नहीं जो खोयी, पहलू में आ गयी -
हाथों की लकीरें पढ़ते ,बीती है जिंदगी ,
कभी अर्श पर थी ,फर्श पर आ गयी-
किस्मत खैरात में मिलती नहीं उदय
बैठा भरोसे भाग्य तो दासता दिला गयी-
उदय वीर सिंह
हाथों की लकीरें, इतना पता बता गयीं -
लिखना तुम्हें पड़ेगा , मुकद्दर अपना,
कागज,कलम, दवात हाथों में थमा गयी -
बसतीं हैं हौसलों से मुकद्दर की बस्तियां ,
हाथों में जो नहीं थी ,हाथों में आ गयीं -
नैपोलियन , के हाथ में पाई न गयीं
कर्म की गलियों का, रास्ता बता गयी-
पौरुष के हाथ में है, किस्मत की पालकी,
हिम्मत नहीं जो खोयी, पहलू में आ गयी -
हाथों की लकीरें पढ़ते ,बीती है जिंदगी ,
कभी अर्श पर थी ,फर्श पर आ गयी-
किस्मत खैरात में मिलती नहीं उदय
बैठा भरोसे भाग्य तो दासता दिला गयी-
उदय वीर सिंह
5 टिप्पणियां:
हाथ की लकीरें बनाने वालों की पूजा करती है दुनिया।
लिखना तुम्हें पड़ेगा , मुकद्दर अपना,
कागज,कलम, दवात हाथों में थमा गयी -
लाजवाब, बहुत ही सुन्दर और प्रेरक भाव. आभार सर जी, बहुत-बहुत आभार.
हाथ की लकीरें बहुत कुछ बता देती हैं ...सुंदर अभिव्यक्ति
वाह क्या कहने..
बहुत सुन्दर प्रस्तुति!
वाह क्या कहने..
बहुत सुन्दर प्रस्तुति!
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