क्या कहते हैं, मानदंड !
विस्तृत ,उपजाऊ भू -भाग ,
-- भूखा भारत
शिक्षा ,ज्ञान का वाहक ,
--43% साक्षरता /
साहित्य ,कला ,विज्ञानं -
-- प्रभावहीन ,
कृषि ,अर्थ ,व्यवसाय ,
-- आत्महत्या की ओर ,
केंद्रीय मंत्री का बयान-
"योग्यता की कमी से जूझते ,शिक्षण संसथान ",
विश्वविद्यालयों का मान,
"टॉप 30th में भी नहीं स्थान ",
पूज्य-पाद होने की स्थिति में ,
आई ,आई टी. ,आई आई यम , आयुर्विज्ञान ,
परिणाम -
आयात पर निर्भर ,
"तकनीकी ,प्रद्योगिकी ,सुरक्षा सामान ",
65% आबादी को झोपड़ -पट्टी ,
या खुला असमान
जौ, ग्वार ,बाजरा सावां,देखा नहीं ,
करता हैं,कृषि प्रबंधन ,
तय करता है फसल का दाम ,
85% आबादी ख़राब स्वास्थ्य की चपेट में ,
पैसे पर तोलती डिग्रियां ,
अब तौलते रोगी व रोग को ,
कितना चमका ,और चमकेगा
ये देश !
उच्च -शिक्षा , इलाज हेतु ,
आज भी जा रहे विदेश !
तथा -कथित ,
निति नियामकों !
कब तक रहोगे ,रहस्य के आवरण में ?
योग्यता के नाम का छल -
टिकाऊं नहीं /
नंगा हो गया ,
देख ! भारत ,
सोमालिया हो गया !
अँधेरे - उजाले का फर्क ,
अमीरी - गरीबी का दर्द ,
भगत सिंह - जयचंद का तर्क ,
पैसे पर तोलती डिग्रियां ,
अब तौलते रोगी व रोग को ,
कितना चमका ,और चमकेगा
ये देश !
उच्च -शिक्षा , इलाज हेतु ,
आज भी जा रहे विदेश !
तथा -कथित ,
निति नियामकों !
कब तक रहोगे ,रहस्य के आवरण में ?
योग्यता के नाम का छल -
टिकाऊं नहीं /
नंगा हो गया ,
देख ! भारत ,
सोमालिया हो गया !
अँधेरे - उजाले का फर्क ,
अमीरी - गरीबी का दर्द ,
भगत सिंह - जयचंद का तर्क ,
समझना होगा ,
समान अवसर , समान शिक्षा ,
समभाव वांछित ,
पथ - प्रशस्त करना होगा /
समभाव वांछित ,
पथ - प्रशस्त करना होगा /
प्राइवेट लिमिटेड कम्पनी नहीं भारत ,
मंदिर है ,
भारतियों का
भारतियों का
सर्वोच्च ,वलिदान
आत्मोत्सर्ग का
इतिहास है,
इसका ...
इसका ...
उदय वीर सिंह
7 टिप्पणियां:
मानदण्डों पर खरी उतरती हुई रचना!
वैसे यदि लाइनों को अलग-अलग काटकर न लिखा जाए तो यह आलेख भी बहुत सुन्दर है!
योग्यता के नाम का छल -
टिकाऊं नहीं /
नंगा हो गया ,
देख ! भारत ,
सोमालिया हो गया !
तीखा कटाक्ष करती रचना साधुवाद !
अच्छी प्रस्तुति
.
भारत का गौरवशाली इतिहास रहा है , लेकिन आज की दुखद स्थिति आपकी रचना में बखूबी बयान की गयी है । गलत हाथों में कमान है देश की ।
कभी-कभी ब्लौग पर पहुँचने में देर हो जाती है , इसके लिए खेद है । क्षमाप्रार्थी हूँ।
.
वाह ...बहुत ही अच्छी प्रस्तुति ।
फिर भी मेरा भारत महान
तीखा कटाक्ष ,अच्छी प्रस्तुति......
भारत , मंदिर है ,
भारतियों का सर्वोच्च ,वलिदान आत्मोत्सर्ग काइतिहास है,
इसका ...
बहुत सुंदर और उच्च भावों को आधार बनाकर लिखी गयी रचना.. आभार!
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