आगोश-ए- समंदर का, अहसास हमको ,
आगोश - ए- गुलों का, भरोषा नहीं है --
मुकाम -ए-दुश्मनी का, अंजाम मालूम
इश्क - ए - रकीबां भरोषा नहीं है --
चले जाओगे तुम ,ये मुझको यकीं है ,
फिर लौट आओ , भरोषा नहीं है --
बरसे न सावन , गिला न करेंगे ,
पतझड़ के ऊपर भरोषा नहीं है --
ढूंढा जो रब को , यक़ीनन मिलेगा ,
इंशां मिलेगा भरोषा नहीं है --
बुझती नहीं प्यास , शोलों से माना,
शबनम बुझाये भरोषा नहीं है --
गम -ए- जिंदगी , क्या लिखेगी इबारत ,
ए फ़साना उसी का, भरोषा नहीं है --
लिखी है इबारत ,वो आएगी एक दिन ,
ये कब छोड़ देगी, भरोषा नहीं है --
उडाता वीर सिंह .
०१/०८/२०११
बुझती नहीं प्यास , शोलों से माना,
शबनम बुझाये भरोषा नहीं है --
गम -ए- जिंदगी , क्या लिखेगी इबारत ,
ए फ़साना उसी का, भरोषा नहीं है --
लिखी है इबारत ,वो आएगी एक दिन ,
ये कब छोड़ देगी, भरोषा नहीं है --
उडाता वीर सिंह .
०१/०८/२०११
9 टिप्पणियां:
ढूंढा जो रब को , यक़ीनन मिलेगा ,
इंशां मिलेगा भरोषा नहीं है --
खूबसूरत प्रस्तुति.
आपकी लेखनी गजब ढहाती है उदय भाई.
गम -ए- जिंदगी , क्या लिखेगी इबारत ,
ए फ़साना उसी का, भरोषा नहीं है --
bahut khoob
ग़ज़ल तो बहुत खूबसूरत है!
मगर विश्वास पर ही दुनिया क़ायम है!
दिल-ए-मिज़ाज को छू गयी..आपकी ग़ज़ल...बहुत खूब...बधाई..
बहुत सुन्दर प्रविष्टि...बधाई पर भरोसा तो होना ही चाहिए कम से कम अपने भरोसे पर ही
bhaut hi umda gazal....
अच्छी रचना .
ढूंढा जो रब को , यक़ीनन मिलेगा ,
इंशां मिलेगा भरोषा नहीं है --
बुझती नहीं प्यास , शोलों से माना,
शबनम बुझाये भरोषा नहीं है --bahut shandar..pahli baar aapke blog pe aana hua..aapne mere blog pe aakar mera hausla afjayee ki..iske liye hardi dhanyawad..pranam ke sath
लाजवाब प्रस्तुति, गज़ब का जज्बा देश भक्ति का.
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