[प्रिय सुधि जनों ,मित्रों ,मैंने सेडान [ एक बेसकिमती कार ]से विकास की आस जोड़ी है ,एक आई सड़क बनी..,दूजी से....तीजी से...सारी सुविधाएँ शायद मिलेंगी ,क्यों की वह देवी स्वरूपा है ,साहब की ख़ुशी में सबकी ख़ुशी निहित है ../ यह काव्य अंश किसी से निजी कोई सरोकार या पूर्वाग्रह , विद्वेष नहीं रखता ... माफ़ी चाहेंगे अगर किसी को ठेस लगती हो ....]
हमारे गाँव भी एक सेडान आई है ,
यम यल ए. साहब ने मंगवाई है /
परियों सी दुर्लभ ,
फूलों सी सुंदर ,
बदन आईना है ,
दिखाती है सूरत ,
अपनी और .देखने वालों की /
ये गंदे हाथ ,
कहाँ वो ताजसहम जाते हैं देख ,
छूने चले थे .....
दूर से देख बुझ गयी प्यास ....../
कहते हैं साहब ,
प्रेमियों कर लो दर्शन ,
लक्ष्मी है .....दो करोड़ की ,
आशीष देना ,
सलामती की.......
सतवचन ......,
शहर से गाँव तक ,
प्रारंभ हो गया है
सड़क निर्माण ......
मखमली , मखमली के लिए .../
खाप में कल चर्चा / दुआ की गयी...
साहब को !
बहुत सारी सेडान मिलें /
पीछे मिल जायेगे , हम सबको ,
पीने का साफ पानी ,विजली , शिक्षा ,
रोजगार और रोटी . ......./
बरक्कत देने वाली है .,
अपनी मज़बूरी है ,
उनको सेडान
जरुरी है ........../
उदय वीर सिंह .
२९/०८/2011