एक शहजादा सपनों का
सपनों में तिरोहित हो गया ,
प्राण प्रतिष्ठा दिल में पाई
महलों में नियोजित हो गया ....
मकरंदों का मधुर नियोजन
स्नेह - सिक्त व्यंजन रच के
प्रेम सरस रस अमिया समर्पण
निष्ठा कलश में संचय करके /
तज प्रतीक्षित मान - सलिल ,
मधुशाला से मोहित हो गया ...
खाए संग काँटों की झाड़ें
द्रवित हुए न विचलित हो
फटे वसन , बहता शोणित,
पग रुके नहीं अतिरंजित हो ,
बनने को मुंदरी का नगीना
सीपी से वियोजित हो गया ....
नयनों में बनाया घर अपना ,
अश्कों को बनाया हम सफ़र
पलकों की सलाखों का वादा ,
महफूज़ रखेंगे उम्र - भर ...
मदमाती सरिता मतवारी
हथ छोड़ प्रवाहित हो गया ...
सांसों ने माँगा कब , कहाँ ?
खुशबुओं की आंधियां ,
दिल ने माँगा कब , कहाँ ?
प्रेम - ग्रन्थ की साखियाँ ,
तोड़ गया अनुबंध उदय ,
गैरों से प्रायोजित हो गया ...
उदय वीर सिंह
२२/०५/011
प्राण प्रतिष्ठा दिल में पाई
महलों में नियोजित हो गया ....
मकरंदों का मधुर नियोजन
स्नेह - सिक्त व्यंजन रच के
प्रेम सरस रस अमिया समर्पण
निष्ठा कलश में संचय करके /
तज प्रतीक्षित मान - सलिल ,
मधुशाला से मोहित हो गया ...
खाए संग काँटों की झाड़ें
द्रवित हुए न विचलित हो
फटे वसन , बहता शोणित,
पग रुके नहीं अतिरंजित हो ,
बनने को मुंदरी का नगीना
सीपी से वियोजित हो गया ....
नयनों में बनाया घर अपना ,
अश्कों को बनाया हम सफ़र
पलकों की सलाखों का वादा ,
महफूज़ रखेंगे उम्र - भर ...
मदमाती सरिता मतवारी
हथ छोड़ प्रवाहित हो गया ...
सांसों ने माँगा कब , कहाँ ?
खुशबुओं की आंधियां ,
दिल ने माँगा कब , कहाँ ?
प्रेम - ग्रन्थ की साखियाँ ,
तोड़ गया अनुबंध उदय ,
गैरों से प्रायोजित हो गया ...
उदय वीर सिंह
२२/०५/011
4 टिप्पणियां:
क्या से क्या हो गया ... सुन्दर रचना!
सांसों ने माँगा कब , कहाँ ?
खुशबुओं की आंधियां ,
दिल ने माँगा कब , कहाँ ?
प्रेम - ग्रन्थ की साखियाँ ,
...बहुत भावपूर्ण और सटीक प्रस्तुति...आभार
मकरंदों का मधुर नियोजन
स्नेह - सिक्त व्यंजन रच के
प्रेम सरस रस अमिया समर्पण
निष्ठा कलश में संचय करके ....
Awesome !
Very impressive creation !
.
खाए संग काँटों की झाड़ें द्रवित हुए न विचलित हो फटे वसन , बहता शोणित,पग रुके नहीं अतिरंजित हो ,
बहुत भावपूर्ण और सटीक प्रस्तुति.आभार,
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