सतत जीवन पथ पर ,सामाजिक ,नैतिक दायित्वों से, मूल्यों से ,किंचित स्वार्थ ,लिप्सा ,वासना के वसीभूत
भौतिक सुख की प्राप्ति हेतु अहंकार विद्वेष एवं घृणा में , झूठ ,आडम्बर ,षड़यंत्र का गामी बन ,कितना छलता है ,अपनों को ,
समाज को , मूल्यों को ,यहाँ तक की स्वयं को / अधिनायक बनने का कुत्सित प्रयास अंत में घृणित ,लांछित पीड़ा का
कारन तो बनता ही है ,नहीं दे पाता, दिए मानसिक , दैहिक वेदना का मोल जिसके कारन मिला / लौटता है हारे जुआरी
की तरह , जिसके पास न पाने को है , न खोने को , सिवा पश्च्याताप के / यह पद्यांश किसी व्यक्ति विशेष ,समाज ,या समूह
का प्रतिनिधित्व या लक्षित नहीं करता / यदि किसी की भावना को ठेस लगती हो , तो हम माफ़ी चाहते हैं /ये मेरे निजी
बिचार हैं ,जो किसी ,घटना ,दुर्घटना या संयोग से ताल्लुक नहीं रखते / आभार ----]
कितना अंतर है -----
जख्म देने में , मरहम लगाने में
तामीर करना आशियाना , उसको जलाने में ,
फूलों से खेलने में , गुलशन सजाने में,
जीवन अपराध लगता है, फरेबी ज़माने में ---
जाता रहा डांस-बार , जिम जाने के नाम पर ,
बेचता रहा नशा ,अफीम ,दवावों के नाम पर ,
नाईट क्लब का सदस्य था ,जन सेवा का नाम था
पीता रहा शराब , सेहत के नाम पर ---
कंधे से झूलता बैग , सादा लिबास था ,
बेचता रहा ब्लू -फिल्म ,किताबों के नाम पर ,
कहता कसम खुदा की , ऐतबार कीजिये ,
मधुशाला में रह रहा था ,इबादत खाना के नाम पर -----
कहा बंगलौर , गया शिमला , मसूरी को ,
छलता रहा कैसे ज़माने को,शराफत के नाम पर ,
दंगों में रहा शामिल ,सनद मरीज-ए-हस्पताल की ,
बे - गुनाही मांगता है , सौं गीता के नाम पर -----
खुला शिक्षालय कागजों में ,सर्व -शिक्षा का भाव ले ,
मिलती रही इमदाद लाखों की ,शिक्षा के नाम पर ,
शिक्षण -प्रशिक्षण ,कार्य - शाला का बहाना था ,
सजाये वासना का मंडप , सेमिनारों के नाम पर ----
जीता है परमार्थ ,सोता है धर्मार्थ ,आदर्श इतना ,
वेश्यालय चला रहा था , अनाथालय के नाम पर ,
मजबूर थे ,जरुरतमंद थे , बेरोजगार हांथों का ,
करता रहा शोषण , रोजगारी के नाम पर -----
बेचता रहा फर्जी डिग्रियां ,प्रमाण -पत्र भावनाओं से खेलकर ,
खेलता रहा ,जिंदगी से , युवा - शक्ति के नाम पर ,
बांधे पट्टियां आँखों पर ,सहते रहे भावनावों के नाम पर
आज पीठ पर हैं छाले , हिफाजत के नाम पर ---
पहले शर्म थी , हया थी ,बदजुबानी गुनाह था ,
वो घूमता रहा उन्मुक्त , जमानत के नाम पर ,
अफ्शोश ! खबर बाद में हमको ,इल्म्कार जमाना था
हैरान हूँ पढ़कर वारंट , गिरफ्तारी के नाम पर -----
उदय वीर सिंह .
की तरह , जिसके पास न पाने को है , न खोने को , सिवा पश्च्याताप के / यह पद्यांश किसी व्यक्ति विशेष ,समाज ,या समूह
का प्रतिनिधित्व या लक्षित नहीं करता / यदि किसी की भावना को ठेस लगती हो , तो हम माफ़ी चाहते हैं /ये मेरे निजी
बिचार हैं ,जो किसी ,घटना ,दुर्घटना या संयोग से ताल्लुक नहीं रखते / आभार ----]
कितना अंतर है -----
जख्म देने में , मरहम लगाने में
तामीर करना आशियाना , उसको जलाने में ,
फूलों से खेलने में , गुलशन सजाने में,
जीवन अपराध लगता है, फरेबी ज़माने में ---
जाता रहा डांस-बार , जिम जाने के नाम पर ,
बेचता रहा नशा ,अफीम ,दवावों के नाम पर ,
नाईट क्लब का सदस्य था ,जन सेवा का नाम था
पीता रहा शराब , सेहत के नाम पर ---
कंधे से झूलता बैग , सादा लिबास था ,
बेचता रहा ब्लू -फिल्म ,किताबों के नाम पर ,
कहता कसम खुदा की , ऐतबार कीजिये ,
मधुशाला में रह रहा था ,इबादत खाना के नाम पर -----
कहा बंगलौर , गया शिमला , मसूरी को ,
छलता रहा कैसे ज़माने को,शराफत के नाम पर ,
दंगों में रहा शामिल ,सनद मरीज-ए-हस्पताल की ,
बे - गुनाही मांगता है , सौं गीता के नाम पर -----
खुला शिक्षालय कागजों में ,सर्व -शिक्षा का भाव ले ,
मिलती रही इमदाद लाखों की ,शिक्षा के नाम पर ,
शिक्षण -प्रशिक्षण ,कार्य - शाला का बहाना था ,
सजाये वासना का मंडप , सेमिनारों के नाम पर ----
जीता है परमार्थ ,सोता है धर्मार्थ ,आदर्श इतना ,
वेश्यालय चला रहा था , अनाथालय के नाम पर ,
मजबूर थे ,जरुरतमंद थे , बेरोजगार हांथों का ,
करता रहा शोषण , रोजगारी के नाम पर -----
बेचता रहा फर्जी डिग्रियां ,प्रमाण -पत्र भावनाओं से खेलकर ,
खेलता रहा ,जिंदगी से , युवा - शक्ति के नाम पर ,
बांधे पट्टियां आँखों पर ,सहते रहे भावनावों के नाम पर
आज पीठ पर हैं छाले , हिफाजत के नाम पर ---
पहले शर्म थी , हया थी ,बदजुबानी गुनाह था ,
वो घूमता रहा उन्मुक्त , जमानत के नाम पर ,
अफ्शोश ! खबर बाद में हमको ,इल्म्कार जमाना था
हैरान हूँ पढ़कर वारंट , गिरफ्तारी के नाम पर -----
उदय वीर सिंह .