असीम शक्ति ,अनंत ज्ञान , से ये भारत भरपूर है ,
बन के विवेचक कर लो मंथन ,क्यों शाह-ए-वतन मजबूर है /
जिह्वा में आदर्श ,कर्म में ,सूनापन आ जाता है ,
सूत्र-वाक्य, जब ग्रंथों का व्यहार नहीं बन पाता है /
दया, क्षमा, का सूरज डूबा , काले बादल छाये ,
कम्पित पीड़ित आँखों में ,प्यार पनप नहीं पाता है
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करता बंदन मिले वेदना,अभिशापित हो जाता मन ,
टुटा दर्पण बिखरा मंजर ,आकार नहीं बन पाता है /
आत्मोत्सर्ग कर ,जीवन मातृभूमि के रखवाले ,
दायित्व -बोध तो करवाते पीछे-पीछे चलने वाले /
बारी आती मिटने की ,आचार बादल जाता है ---------
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दंभ द्वेष पाखंड की सीमा होती छोटी ,
अनावृत हो जाने पर ,दीदार बादल जाता है /-----
अवसर का अभाव, पल्लवित प्रतिभा कैसे होती ?
अपणे -पराये ,ऊँचे , निचे , खण्डों में खो रोती /
एक सौ सतरह साल काओलम्पिक, १७ मेडल पाए हैं ,
कर लो गड़ना कितनी उपलब्धियां अपने घर ले आये हैं /
निखिल- विश्व के अग्र क्षितिज,परकितना अन्वेषण जाये हैं,
शिक्षा ,स्वास्थ्य , सुरक्षा में ,लाचारी ही तो पाए हैं /
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उर्वर धरती ,मीठा पानी ,श्रम का कोई अकाल नहीं ,
फिर भी भूखा ,नंगा, जन कोई पुरसा- हाल नहीं /
होने को मदहोश ,मदिरालय तो बनाये जाते हैं ,
कुंठित- आनंद की प्रत्यासा ,होटल तो सजाये जाते हैं,
शिक्षालय के निर्धारण में ,प्रतिमान बदल जाता है /---------
भ्रस्ट आचरण, आत्म-प्रवंचन ,आत्म -मुग्ध हो जाता मन ,
न्याय की आशा कहाँ रही ,पक्षपाती हो जाता मन /
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