ये वादी हैं , ना प्रतिवादी हैं ,
सुक्ष्म निरिक्षण करके देखो ,
शत - प्रतिशत अवसर वादी हैं /-------
स्वदेश , स्वदेशी , स्वावलंबन,
नारे तो लगाये जाते हैं /
प्रतीक्षा करते नयनों में
सपने तो दिखाए जाते हैं /-----
स्तरहीन की देकर संज्ञा ,
देशी को रुलाये जाते हैं ------
प्रचुर यहाँ पर संसाधन ,
उद्दघोष कराये जाते हैं -------------
* दोहन करने आ जाओ ,
निविदा दे मेहमान बुलाये जाते हैं -----
उद्योग ,अयोग्य निष्क्रिय बन आये ,
यह आदेश सुनाये जाते हैं ----------
उद्योग , उद्दमी प्रतिष्ठानों को
यहाँ बंद कराए जाते हैं ---------
* समझौते होते रोज यहाँ ,
निज - उत्पादों को बाज़ार नहीं ,
* हम कैसे नीति नियामक हैं ,
खाली हाँथ , औजार नहीं ------------
*** ***
सबल - रास्ट्र के दुर्बल नेता ,
पढ़कर देखो प्रगति - विवरणी ,
विस्वास ,स्नेह के घाती हैं -------------
भूखा सोता कर्म -वीर ,
श्रम बहता जाये पानी में ,-----
आत्म -हत्या करते कृषक बंधू ,
कृषि नीति की खामी में ,------
खाली पेट , गोदाम भरे ,
सड़ रहे अन्न , भंडारों में , -----
मूल्य उपज का मिला नहीं ,
है , बंधा क़र्ज़, के तारों में -----
* मिलती मौत, उपहारों में ,
जो भारत के थाती हैं -----------------
** मेडल बेचकर रोटी का ,
उपराला करते देखा है ,------
शोध पत्रों के पन्नों से
सिगार जलाते देखा है --------
युवा हृदय की पीड़ा को
लाचार बनाते देखा है / -------
शीतल , मलय , मृदुल लहरी ,
अंगार बनाते देखा है / ----------
भारत को आभा - हीन करे ,
वे ही आतंकवादी हैं ----------
लाये उदय , भारत विकास ,
वे ही भारत - वासी हैं / ------------
उदय वीर सिंह
14/11/2010
कोई टिप्पणी नहीं:
एक टिप्पणी भेजें