करनी होगी याचना ,
चढ़ानी होगी भेंट ,जो देवों को स्वीकार्य हो /
वर पाने कि शर्त -----समर्पण !
मन का , तन का , हर फन का /
अपना विशिस्ट ,सर्वोत्तम , दे सको ,
प्रचुरता वर, की उतनी होगी /-----
भैरवी बनना होगा सिमरन !मेरे अस्तित्व हेतु ,
जिसमें तेरी शिखर- सफलता बसती है /
बनेगी नायिका, मेरे अतुल्य साम्रज्य की /-----------
प्रभु के -सूत्र वाक्य सिमरन को प्रेरित करते हैं /
संकल्पित हो चल पड़ी /---
सिमरन जा रही सिमरन को ,
प्रभु को लिए साथ, बन प्रभु का साधन ,
निहित स्वार्थ ,मह्त्वाकंक्ष्छा की पूर्ति ,
संकल्पित ,न्योछावर को तत्पर ,स्वयम को /---
यज्ञ वेदी , आहुति ,हवन -सामग्री ,सकल- प्रबंध , सम्प्पन्न /
सजाये थाल ,अनंग -श्रृंगार ,उदीप्त- देह, त्रुटिहीन, अर्चन विधि ,
पूर्णता का प्रयास /
प्रयोजन ,निष्फल स्वीकार्य नहीं ! ,अटल ,संकल्प !
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प्रारंभ यज्ञ ----------
सम्पन्न !
दहकती ,हवन कुण्ड,की प्रचंड -अग्नि ,शांति की ओर ------
देवों ने दिया अधुरा वर /
दे शर्त !
भैरवी !पूर्णमाशी की की जाई हो ! अमावस्या की नहीं !
पुनः करो प्रयत्न !
प्रसाद में मिली राख़ ! ,मलने को तनपर /
सम्पूर्ण वर हेतु नए सिमरन की तलाश !
बदलना होगा साधन !
प्रभु का आदेश -------------
सिमरन ! जाना होगा तुम्हें !
लक्ष्य -प्राप्ति में साधन स्थायी नहीं होते /
जितना आवश्यक उतना सम्मान ,
वांछित नहीं होते ,व्यर्थ सामान /
फेंक दिए जाते हैं ! -----
सिमरन !
क्षमां करना !
मेरी , मजबूरी है /-----
उदय वीर सिंह
१०/११/२०१०
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