करो स्पस्ट !
करनी होगी मेरी जिज्ञासा शांत /
अब असहज लगते हैं , पल ,
" गुनाह उनका था प्यार करना "
फरमान जारी --सजाये-मौत ,
हंशों के जोड़े झूल रहे , सलीब पर !
कुछ चढ़ गये , कुछ चढ़ाये गये / ---------
* लिए हृदय में आस ,विस्वास
सुखी,सुंदर ,दांपत्य जीवन ,
सुनहरे संसार, का देखा स्वप्न ,
सुनहरे संसार, का देखा स्वप्न ,
सहा विछोह ,बाबुल का ,
माँ-बाप का ,स्नेहिल आंगन का ,
ना पूरी आस !
दहेज़ की आग में ,
*कुछ जल गये ,कुछ जलाये गये " /-------
* विरुदावली गाते -देवता बसते हैं ,जहाँ नारियां पूजी जाती हैं "
जब लांघी झूठी रेखा ,"जिसका जीवन दान नहीं "
बेबस ----
कुछ मिटती हैं ,कुछ मिटा दी जाती हैं /-------
* बिलबिलाते भूख से याचना करते भीख की "
अपाहिज,अनाथ, बच्चे सफ़र में ,गलियों में ,
कुछ को बनाया मुफलिसी ने
कुछ लाचार बनाये गये ---------
*सत्य, सदाचार ,सम्भाव ,चाहिए सबको ,
सारे धर्म कहते हैं ,उनका सार कहता है /
जब आयी बात झुकने की , मंजूर नहीं होता ,
खिंच जाती शमशीरें ------,
कुछ मिट जाते हैं ,कुछ मिटाए जाते हैं /-----
खुदगर्ज़ ,ठूंठ - तने के वारिस ,सलामत हैं /
कसाब ,कोली ,पंधेर को मिलती मुहल्लत है !
पवित्र है तब -तक शमशान भी ,
जब तक ये वहां नहीं जाते /
हैरान है उदय पूछता ---
तुम किसके हो ,पक्षकार ? इन्सान या शैतान के ?
कब तक दोगे साथ ?
उनका जीवन !
उदय वीर सिंह
२४/११/२०१०
सारे धर्म कहते हैं ,उनका सार कहता है /
जब आयी बात झुकने की , मंजूर नहीं होता ,
खिंच जाती शमशीरें ------,
कुछ मिट जाते हैं ,कुछ मिटाए जाते हैं /-----
खुदगर्ज़ ,ठूंठ - तने के वारिस ,सलामत हैं /
कसाब ,कोली ,पंधेर को मिलती मुहल्लत है !
पवित्र है तब -तक शमशान भी ,
जब तक ये वहां नहीं जाते /
हैरान है उदय पूछता ---
तुम किसके हो ,पक्षकार ? इन्सान या शैतान के ?
कब तक दोगे साथ ?
उनका जीवन !
उदय वीर सिंह
२४/११/२०१०
1 टिप्पणी:
बहुत सुन्दर रचना .
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