कित पावं गए , गहरे -गहरे /----
कित मोर गए , कित जोर गए ,
कित लोर गए , बहते -बहते ------
कित प्रीत गयी , कित रीत गयी ,
कित गीत गयी , झरते -झरते /------
कित हीर गयी , कित हार गया ,
पाजेब गयी , बजते - बजते ----------
कित सुन्दर रूप , स्वरुप गया ,
कित उम्र ढली ,चलते - चलते -----
कित आस गयी , कित प्यास गयी ,
कित शाम गयी , ढलते - ढलते ------
खायी ठोकर , हर- राह मिले ,
कित राह गयी , गिरते - गिरते -------
अब ढूंढ़ रही , सब दूर गए ,
मैं दूर रही , जब पास रहे ---------
टूटी जो डोर ,बंधी हिय से ,
मजधार चली , बहते - बहते --------
उदय वीर सिंह .
५/११/२०१०
2 टिप्पणियां:
बहुत सुन्दर शब्द चुने आपने कविताओं के लिए..
आपका ब्लॉग पसंद आया....इस उम्मीद में की आगे भी ऐसे ही रचनाये पड़ने को |
कभी फुर्सत मिले तो नाचीज़ की दहलीज़ पर भी आयें-
संजय कुमार
हरियाणा
http://sanjaybhaskar.blogspot.com
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