देशी भ्रस्टाचार का पेटेन्ट हो गया /
भारतीय संस्कृति की शान थी ना मांगना ,
अब मांगने को हाँथ परमानेंट हो गया /
रूठता एक भाई तो मनाता एक भाई ,
हृदय में था प्यार, संस्कार अनमोल था /
आयी जब आपदा, तो डिगे नहीं पैर कभी ,
भले कट जाये शीश ,विचार अनमोल था /
देश की विरासत को ,राजनीत ने डकार लिया ,
विदेशी मान्यताओं का एजेंट हो गया /--------
खाद्य, पेय ,पेस्ट ,कार,कपड़े विदेश के ,
शिक्षा अंग्रेजी में हो उतनी ही शान है /
ढूंढ़ता है भारत अब अपने स्वरूप को ,
विदेशी चैनलों में खोई अपनी पहचान है /
पड़ी खतरे में प्यारे देश की है अस्मिता ,
सी .टी .बी. टी ,डंकल का ये टेंट हो गया /---
करते उद्दघाटन नित ,कालेज ,अस्पताल का ,
शिक्षा व चिकित्सा ,हेतु जाते हैं विदेश में /
शिक्षण व प्रशिक्षण में अरबों निशार हुए ,
खाली हाँथ लौटते ओलम्पिक जैसी गेम में /
स्वार्थी ,अहंकारियों के स्वार्थ में विकास जला ,
असत्य व अन्याय का मर्चेंट हो गया /------
दर्शन ,विज्ञानं, खेल ,साहित्य ,सम्मान में ,
होता भेद -भाव परिणाम शर्मनाक है /
शिक्षा ,अर्थ,स्वास्थ्य ,व सुरक्षा के ही क्षेत्र में ,
कितने हैं निर्भर दृश्य दर्दनाक है /
देश -हित न्याय और निर्णय का विचार कहीं खो गया ,
दलालों को दलाली का पेमेंट हो गया /--------
उदय वीर सिंह .
हृदय में था प्यार, संस्कार अनमोल था /
आयी जब आपदा, तो डिगे नहीं पैर कभी ,
भले कट जाये शीश ,विचार अनमोल था /
देश की विरासत को ,राजनीत ने डकार लिया ,
विदेशी मान्यताओं का एजेंट हो गया /--------
खाद्य, पेय ,पेस्ट ,कार,कपड़े विदेश के ,
शिक्षा अंग्रेजी में हो उतनी ही शान है /
ढूंढ़ता है भारत अब अपने स्वरूप को ,
विदेशी चैनलों में खोई अपनी पहचान है /
पड़ी खतरे में प्यारे देश की है अस्मिता ,
सी .टी .बी. टी ,डंकल का ये टेंट हो गया /---
करते उद्दघाटन नित ,कालेज ,अस्पताल का ,
शिक्षा व चिकित्सा ,हेतु जाते हैं विदेश में /
शिक्षण व प्रशिक्षण में अरबों निशार हुए ,
खाली हाँथ लौटते ओलम्पिक जैसी गेम में /
स्वार्थी ,अहंकारियों के स्वार्थ में विकास जला ,
असत्य व अन्याय का मर्चेंट हो गया /------
दर्शन ,विज्ञानं, खेल ,साहित्य ,सम्मान में ,
होता भेद -भाव परिणाम शर्मनाक है /
शिक्षा ,अर्थ,स्वास्थ्य ,व सुरक्षा के ही क्षेत्र में ,
कितने हैं निर्भर दृश्य दर्दनाक है /
देश -हित न्याय और निर्णय का विचार कहीं खो गया ,
दलालों को दलाली का पेमेंट हो गया /--------
उदय वीर सिंह .
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