भले ही है ये सुना कर्जदार तो नहीं है /
प्रीत भी तो ऐसी, खरीदी नहीं जाती /
उसकी कोई कीमत लगाई नहीं जाती /
बसाई जाती दिल में ,दिखाई नहीं जाती /
बाज़ार सरे-आम लुटाई नहीं जाती /
छाप लो जो चाहो अखबार तो नहीं है /----------
फूल है ये प्यार का, व्यापर ना करो ,
फूलने पर महकेगा ,लाचार ना करो /
साथी है सुख -दुःख का ,तिरस्कार ना करो /
दिल का जलता दीपक ,अंधकार ना करो /
दिल तो होता मंदिर ,बाज़ार तो नहीं है /
प्यार मैंने बोया तो प्यार उग आया ,
प्यार की फसल को, मैंने प्यार से सिंचाया /
प्यार के दानों को, मैंने प्यार से उठाया ,
प्यार के आंचल में भर ,प्यार से ले आया /
रब से है , ख़रीदा ,उपहार तो नहीं है /
याचना ही करता ,सरकार तो नहीं है /
छीने कोई मुझसे ,अधिकार तो नहीं है /
मांगना तो प्यार से !ब्यापार तो नहीं /
उदय वीर सिंह .
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