अहसास तो होता है , साकार नहीं होते /
ताजमहल बनाने की जिद विषयांतर नहीं होती ,
यांदों के महल हज़ार होते हैं ,दीदार नहीं होते /-------------
आंशुओं का दरिया काफी है डुबोने को ,
अगर बहता रहा याद -फरियाद बनकर / ,
किस्ती मिली भी मुकद्दर से ,मुराद बनकर ,
लोड्बंद हांथों को पतवार नहीं होते /-----------------
हृदय का मांगना ,दे दो अकेलापन मुझे ,
क्या ठहरना सुने कोष में ,जहाँ प्यार नहीं होते /
अभिलाषा कल्पित होती है ,होनी भी चाहिए ,
महल तामीर नहीं होते ,जिनके आधार नहीं होते /------------
स्वक्ष , समतल, सुबंध , हरपल रहा मन
घोला मधु-रस फिजाओं में,नव -सरस बिहंस रहा मन ,
उत्पन्न होता विद्दुत- सा विचलन , स्पंदन दे,
त्वरित प्रकाश का आगमन ,कह रहा स्वागतम /
घोर तिमिर का आवेदन ,तृष्णा है ,ऐतबार नहीं होते /-----------
प्रतीक्षा में पथराये नयन ,बसंत आएगा ,
पतझर भी खायी कसम ,निःसार नहीं होंगे /
वादियों ने ओढ़ ली चादर सफ़ेद , बे-आस .,
गहराई निशा अंतहीन ,भिनसार नहीं होंगे !
नहीं ! समय बे-खौफ है ,बे-वजूदों के संसार नहीं होते ,----
सावन ,बसंत ,ख़ुशी, प्रकृति के वैभव हैं , आयेगे उदय !
इन पर किसी के अधिकार नहीं होते -----------
उदय वीर सिंह .
०५/०३/२०१० वीर.जी@ लाइव.कॉम
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