ब्यापार हो गयी /
कली का रिश्ता ,चमन से टुटा ,
खार हो गयी /
आंसू का रिश्ता ,नयन से टुटा ,
जलधार हो गयी /
बिन ध्वनी दर्पण टूट गया,
बिम्ब खंड में बिखर गया /,
झरते नयन सरिता बन बहते ,
स्नेह का आँचल छूट गया /
छलके नयन रोई ,भर आँचल ,
कश्ती बिन पतवार ,हो गयी /
तकती आस नेह बिन सूनी ,
उदय सून्य ,लाचार हो गयी /
उदय वीर सिंह
२३/१०/२०१०
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