तेरे दर की खाक मैं बन पाऊँ , -तकदीर दीजिए /
जन्म -जन्मों का मैं प्यासा ,अमृत -नीर दीजिये /
माँ की गोंद सा तेरा आंगन ,बिन आंगन सब सुना /
वरसे वाणी अमृत वर्षा,रस- भीज उठे सब कोना /
होए सफल जनम जो पाया --दाते, नूर दीजिए ------
निखिल विश्व में पुलक रही अनुपम ज्योति तुम्हारी,
लख आकाश, पाताल, बनाये व्याख्या नहीं तुम्हारी /
मिले मुक्ति आवन- जावन से ,--शमशीर दिजीये -------
एक ओंकार सतनाम करता पुरख निर्भव आप हो ,
निर्वैर अकाल मूरति अजूनी सैभंगुर परसाद हो /
दग्ध हृदय मम ,आ बसों ---बे -पीर कीजिये --------
कस्तूरी -मृग सा ढूंढ़ रहा ,दाते ढूंढ़ ना पाया ,
अमृत-सर में में डुबकी मारी,पावन दर्शन पाया /
अनंत- काल तक दर्शन पाऊँ , ---तस्वीर दिजीये -------
अप्रतिम ज्योति ,स्वर्ग से सुंदर अकाल-तख़्त हम पाए ,
स्वर्ण-मंदिर हरमंदिर -साहिब ,बडभागी दर्शन आये /
चरण-कमल से प्रीत बंधे , --जंजीर दीजिए -------------
दर्शन ,सेवा , में लीन उदय ,-----मस्त फ़कीर कीजिये / ------
उदय वीर सिंह
१६/१०/२०१०
अमृतसर
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