रविवार, 3 अक्तूबर 2010

विषयांतर

प्रीत के  घर बैर आया ,सुख बेगाना हो गया /
आनद के घर बिघ्न आया ,शांति संयम खो गया /
पतझर के घर बसंत आया,ऋतू सुहानी हो गयी
के घर फूल आया,उपवन दीवाना हो गया   /
आँखों के घर नेह आया ,अश्रुओं को साथ ले ,
अंक भर के प्रीत रोये गुजरा जमाना हो गया / 
गुल ,गुलशन से पूछते मेह क्यों  वर्षा नहीं
सरबती आखों सेशायद सावन का आना हो गया/
उदय छेड़ो राग नवल साज में हो कोई ,
रच नव,कृत्य,तज,आक जो पुराना हो गया /
पहार सी उन्चंया पार  जाना मुमकिन नहीं ,
बादलों की गोंद से अहसास आना हो गया /
                            उदय वीर सिंह .
 

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